मंगलवार, 1 अप्रैल 2008

दुग्ध मार्केटिंग में हुई उत्तरोतर वृद्धि

मारवाड़ का कश्मीर नाम से प्रसिद्ध रानीवाड़ा के इस सुणतर क्षेत्र में टाटा द्वारा स्थापित डेयरी तथा बाद में घाटे के कारण १९८६ में राज्य सरकार को हस्तान्तरित करते वक्त मात्र ५ समितियों, ४ सौ सदस्य व ६ सौ किग्रा प्रतिदिन संकलन से शुरु हुई जसमूल डेयरी वर्तमान में उत्तरोतर विकास के मार्ग पर अग्रसित है। इस समय संस्था में ५२५ पंजिकृत समितियां, लगभग ३० हजार सदस्यों के माध्यम से रोजाना ५० हजार किग्रा दुग्ध संकलन करने का कीर्तिमान छुने जा रही है।बकौल, प्रबंध संचालक सोहन बरड़वा वर्ष २००६-०७ में संस्था ने दुग्ध का संकलन ३८ हजार किग्रा रोजाना के लक्ष्य के अनुपात में औसत ३१ हजार४६५ किग्रा की प्राप्ति की, इसी तरह वर्ष २००७-०८ के फरवरी माह तक ३५ हजार के लक्ष्य के एगेनस्ट में ३२५६८ किग्रा दुग्ध का रोजाना संकलन कर ९४ प्रतिशत प्राप्तांक को स्पर्श किया। दुग्ध क्रय दरों में भी संस्था ने उत्तरोतर वृद्धि कर पशुपालकों को आर्थिक संबल प्रदान किया है। संस्था ने वर्ष २००४-०५ में १७०, वर्ष २००५-०६ में १७५, वर्ष २००६-०७ में १९० व वर्ष २००७-फरवरी ०८ तक २४० प्रति किग्रा फेट कर के इतिहास रचा है। बरड़वा ने बताया कि संस्था ने तरल दुग्ध की बिक्री में सफलता के झण्ड़े गाड़े है। दुग्ध पथों से संकलित दुग्ध पूर्णतया हाईजेनिक वातावरण में अत्याधुनिक मशीनों से शोधित कर कीटाणुरहित व उच्च गुणवत्ता का सरस ब्राण्ड़ेंड दुग्ध तापरोधी वाहनों के माध्यम से वितरित किया जाता है। वर्ष २००६-०७ में औसतन १५००० किग्रा व वर्ष २००७-०८ के फरवरी माह तक रोजाना औसतन १३१३५ किग्रा दुग्ध का सफल वितरण किया है। इस वर्ष भी क्रय दर बढने पर संकलन की मात्रा दोगुनी होने की संभावना है। इस वजह से पाउड़र व देशी घी की मार्केटिंग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

2 टिप्‍पणियां:

N.Gumansingh Rao ने कहा…

जग चावां गुमानसा,
घणे मांन सूं आसीरवाद।
म्हानैं आज आपरी टपाळ ई-मेळ सूं मिळी, खोळ ने देखंण पछे म्हैं थारे माथे गरव करु। मा चांमुण्ड़ा थानैं दिण दूणी अर रात चौगुणी सफळता दैवें।
गजसिंघ
मारवाड़

बेनामी ने कहा…

So nice mr.rao