शनिवार, 1 नवंबर 2008

स्लिम दूध बिक्री के लिए जारी


Nov 01, 11:16 pmजयपुर,  जयपुर डेयरी न बुजुर्गो, हृदय रोगियों, खिलाड़ियों और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के लिए यूएचटी दूध का नया उत्पाद बिक्री के लिए जारी किया है। छह महीनों तक साधारण तापमान में उपयोग में लाए जा सकने वाले इस उत्पाद को जयपुर डेयरी द्वारा 'स्लिम' नाम दिया गया है। जयपुर डेयरी के प्रबंध संचालक डॉ. रणवीर सिंह गोदारा ने बताया कि आने वाले दिनों में यह खास वर्ग के लोगों के लिए प्रीमियम उत्पाद होगा। यू.एच.टी. स्लिम में फेट की मात्रा बिलकुल भी नहीं है। उन्होंने बताया कि आधुनिक और प्रतिस्पद्र्धात्मक जीवन शैली और बाजार में इस तरह के दुग्ध उत्पादों की मांग को देखते हुए जयपुर डेयरी ने यह उत्पाद बिक्री के लिए जारी किया है। एक लीटर स्लिम यूएचटी पैक दूध की कीमत 28 रुपये प्रति लीटर रखी गई है। गोदारा ने बताया कि इसके अलावा यूएचटी मिल्क फिड एंड फाइन का आधा लीटर पैक भी नई आकर्षक पैकिंग में बिक्री के लिए जारी किया गया है। अभी तक फिट एण्ड फाइन यूएचटी मिल्क केवल एक लीटर की पैकिंग में ही उपलब्ध था। लेकिन उपभोक्ताओं की मांग को देखते हुए फिट एण्ड फाइल यूएचटी मिल्क आधार लीटर पैकिंग में भी बिक्री के लिए जारी किया गया है।

मंगलवार, 1 जुलाई 2008

दुग्ध उत्पादकों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना

Marwar News!
आरसीडीएफ के तत्वावधान में प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों को चिकित्सा व्यय पुनर्भरण के लिए सरस सामुहिक आरोग्य बीमा योजना फैज तृतीय लागू की गई है। इस काम के लिए आरसीडीएफ के एमडी मधुकर गुप्ता व राज्य बीमा आयोग के आयुक्त सोहनलाल ने एक वर्षीय करार पर दस्तखत किए है।
उक्त योजना के तहत दुग्ध उत्पादकों को साधारण बिमारियों में प्रति परिवार एक लाख रुपए और विशेष बिमारियों में दो लाख रुपए तक का चिकित्सा पुनर्भरण का लाभ मिल सकेगा। इस योजना के तहत बीमा प्रिमियम पर सपरिवार ३८८ रुपए व व्यक्तिगत दुग्ध उत्पादक के लिए २५० रु व्यय होंगे। इन मेसे साढे बारह प्रतिशत राशि आरसीडीएफ व रानीवाड़ा डेयरी संघ, तीस प्रतिशत राशि संबंधित दुग्ध समिति एवं शेष राशि दुग्ध उत्पादक सदस्य द्वारा वहन की जाएगी। रानीवाड़ा डेयरी के अध्यक्ष राघवेन्द्रसिंह देवड़ा व प्रबंध संचालक सोहन बरड़वा ने उक्त बीमा योजना की जानकारी देते हुए बताया कि उक्त योजना दुग्ध उत्पादकों को सामाजिक सुरक्षा व साधारण अथवा गंभीर बिमारियो की स्थिति में चिकित्सा पुनर्भरण की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लागू की जा रही है जोकि संघ के सदस्यों के हितार्थ एवं अतिलाभदायक रहेगी।

रविवार, 29 जून 2008

हेल्दी हार्ट के लिए पीएं बिना मलाई वाला दूध

Raniwara:
एक अमेरिकी रिसर्च में यह बात सामने आई है कि अगर इंसान रोजाना एक ग्लास बिना मलाई वाला दूध पीता है, तो उसे दिल से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा बहुत कम हो जाता है। रिसर्चरों ने पाया कि वयस्क लोग अगर दिन में एक बार भी कम फैट वाला दूध या दूध से बने उत्पाद का इस्तेमाल करते हैं, तो उनकी किडनी में खराबी की दर तुलनात्मक रूप से 37 फीसदी कम हो जाती है। किडनी के फंक्शन में खराबी आने से दिल पर बुरा असर पड़ता है। स्टडी बताती है कि दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन, विटामिन डी, मैग्नीशियम और कैल्सियम इसे दिल के लिए दमदार ड्रिंक बनाते हैं। इन नतीजों पर पहुंचने से पहले रिसर्चरों ने 5 हजार से भी ज्यादा लोगों के किडनी फंक्शन चेक किए। ये सभी लोग उम्र में 45 से 84 साल के बीच थे। स्टडी में इन लोगों के खान-पान के पैटर्न का ट्रैक रेकॉर्ड रखा गया। इसके साथ ही एल्बूमिन और क्रिएटिनाइन के रेश्यो (एसीआर) की भी जांच की गई। यह रेश्यो किडनी की हेल्थ जानने के लिए बतौर इंडिकेटर काम करता है। अगर रेश्यो बहुत लो है, तो किडनी ठीक से फंक्शन नहीं कर रही है। अगर हाई है तो कार्डियोवस्कुलर डिजीज का रिस्क बहुत ज्यादा है। स्टडी में देखा गया कि जो लोग लो फैट वाला दूध या इससे बने उत्पाद ज्यादा खाते हैं, उनका एसीआर कम है, यानी किडनी फंक्शन अच्छे स्वास्थ्य की गवाही दे रहे हैं। स्टडी में एक और बात पता चली कि कम फैट वाले दूध उत्पादों का सेवन करने वाले लोगों में किडनी से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा भी बहुत कम हो जाता है।

गुरुवार, 3 अप्रैल 2008

दुग्ध उत्पादकों को बीमा कवरेज

रानीवाड़ा की जसमूल डेयरी ने संस्थान से जुड़े समस्त दुग्ध उत्पादकों को बीमा कवरेज देकर सहकारिता के इतिहास में नया अध्याय रचा है। डेयरी ने राजस्थान कॉ-आपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड़ जयपुर, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी व भारतीय जीवन बीमा निगम के मध्य त्रि-स्तरीय सहमति के आधार पर इस संघ से जुड़े दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के पंजीकृत क्रियाशील सदस्यों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से संचालित सरस सुरक्षा कवच चतुर्थ, सरस सुरक्षा कवच पंचम् व आईसीआईसीआई लोम्बर्ड से सरस सामूहिक आरोग्य बीमा फेज प्रथम योजना के तहत फरवरी ०८ तक कई किसानों ने फायदा लिया। फरवरी २००८ तक लगभग १२ लाख रुपए बीमा क्लेम के रुप में आहत परिवारों को स्वीकृत कर राहत प्रदान की है। प्रबंध संचालक सोहन बरड़वा व चेयरमैन कुं राघवेंद्रसिंह देवड़ा के अनुसार दुग्ध उत्पादकों को इस योजना का अधिकाधिक फायदा लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

मंगलवार, 1 अप्रैल 2008

दुग्ध मार्केटिंग में हुई उत्तरोतर वृद्धि

मारवाड़ का कश्मीर नाम से प्रसिद्ध रानीवाड़ा के इस सुणतर क्षेत्र में टाटा द्वारा स्थापित डेयरी तथा बाद में घाटे के कारण १९८६ में राज्य सरकार को हस्तान्तरित करते वक्त मात्र ५ समितियों, ४ सौ सदस्य व ६ सौ किग्रा प्रतिदिन संकलन से शुरु हुई जसमूल डेयरी वर्तमान में उत्तरोतर विकास के मार्ग पर अग्रसित है। इस समय संस्था में ५२५ पंजिकृत समितियां, लगभग ३० हजार सदस्यों के माध्यम से रोजाना ५० हजार किग्रा दुग्ध संकलन करने का कीर्तिमान छुने जा रही है।बकौल, प्रबंध संचालक सोहन बरड़वा वर्ष २००६-०७ में संस्था ने दुग्ध का संकलन ३८ हजार किग्रा रोजाना के लक्ष्य के अनुपात में औसत ३१ हजार४६५ किग्रा की प्राप्ति की, इसी तरह वर्ष २००७-०८ के फरवरी माह तक ३५ हजार के लक्ष्य के एगेनस्ट में ३२५६८ किग्रा दुग्ध का रोजाना संकलन कर ९४ प्रतिशत प्राप्तांक को स्पर्श किया। दुग्ध क्रय दरों में भी संस्था ने उत्तरोतर वृद्धि कर पशुपालकों को आर्थिक संबल प्रदान किया है। संस्था ने वर्ष २००४-०५ में १७०, वर्ष २००५-०६ में १७५, वर्ष २००६-०७ में १९० व वर्ष २००७-फरवरी ०८ तक २४० प्रति किग्रा फेट कर के इतिहास रचा है। बरड़वा ने बताया कि संस्था ने तरल दुग्ध की बिक्री में सफलता के झण्ड़े गाड़े है। दुग्ध पथों से संकलित दुग्ध पूर्णतया हाईजेनिक वातावरण में अत्याधुनिक मशीनों से शोधित कर कीटाणुरहित व उच्च गुणवत्ता का सरस ब्राण्ड़ेंड दुग्ध तापरोधी वाहनों के माध्यम से वितरित किया जाता है। वर्ष २००६-०७ में औसतन १५००० किग्रा व वर्ष २००७-०८ के फरवरी माह तक रोजाना औसतन १३१३५ किग्रा दुग्ध का सफल वितरण किया है। इस वर्ष भी क्रय दर बढने पर संकलन की मात्रा दोगुनी होने की संभावना है। इस वजह से पाउड़र व देशी घी की मार्केटिंग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

सोमवार, 31 मार्च 2008

अब सिरोही में श्वेत क्रांन्ति का होगा आगाज

Kendra सरकार के द्वारा वित्त पोषित ग्राम सहकारी डेयरी संरचना के माध्यम से पशुपालक व कृषक वर्ग को स्वरोजगार देने के उद्देश्य से शुरु की गई सघन डेयरी विकास कार्यक्रम के तहत सिरोही जिला मुख्यालय पर २० हजार लीटर प्रतिदिन क्षमता के डेयरी संयत्र निर्माण की स्वीकृति मिली है। इस परियोजना की लागत २९० लाख रुपए आएगी।

जसमूल के चेयरमैन राघवेंद्रसिंघ देवडा के अनुसार संयत्र की स्थापना को लेकर भूमि की समस्या आ रही थी, परंतु बीसूका प्रदेशउपाध्यक्ष अर्जुनसिंघ सा के सहयोग से सिरोही जिला प्रशासन ने वेरापुरा में हाई-वे पर २० बीघा जमीन का रियायती दर पर आवंटन कर दिया गया है। शीघ्र निर्माण को लेकर आरसीडीएफ जयपुर ने निविदा भी आमंत्रित कर दी गई है।


प्रबंध संचालक सोहन बरड़वा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत सन् २०१०-११ तक सिरोही जिला में १३० कार्यशील समितियों का गठन, लगभग ७८ सौ पशुपालकों व दुग्धउत्पादकों को संघ से जोड़ कर १६ हजार किग्रा दुध का रोजाना संकलन किया जाएगा। जिसमें से १३ हजार लीटर दुग्ध सिरोही जिले के कई कस्बे में ही तरल रुप में बिक्री किया जाएगा। इस तरह ८० हजार उपभोक्ता लाभान्वित हो सकेंगे। बकौल, बरड़वा सिरोही जिले का दुग्ध सिरोही में बिक्री होने से परिवहन व्यय की बचत हो सकेगी, जिससे संघ के द्वारा दुग्ध उत्पादकों को बेहतर दर दी जा सकेगी। इस तरह यह योजना सिरोही जिला मुख्यालय के विकास एवं दुग्ध उत्पादकों के आर्थिक व सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगी।

शनिवार, 29 मार्च 2008

ड़ेयरी की आमसभा में देवड़ा ने कि अनेकों घोषणाएं


जालोर-सिरोही जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड़ की ऒर से संचालित स्थानीय डेयरी में शनिवार २९ मार्च को चेयरमैन राघवेन्द्रसिंह देवड़ा की अध्यक्षता और प्रबंध संचालक सोहन बरड़वा की देखरेख में वार्षिक आमसभा हुई।
इस मौके पर देवड़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री वसुंधराराजे ने इस बजट में राज्य की डेयरियों के लिए करोडों रुपए का बजट स्वीकृत कर राज्य में श्वेत क्रान्ति लाने का प्रयास किया है। उन्होंने दूध का खरीद मूल्य २८० रुपए प्रति किग्रा फैट कर राज्य के दूध उत्पादकों का आर्थिक स्तर उंचा उठाने में मदद की है।
देवड़ा ने कहा कि जिन समितियों पर रानीवाड़ा ड़ेयरी का बैनर होने के उपरांत काम अन्य निजी डेयरियों का करती है, उनकी सदस्यता अतिशीघ्र रद्द कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादकों के निवेदन पर डेयरी के सामने रोड़वेज बसों का प्रार्थनिय बस स्टेण्ड़ शुरु किया जाएगा। इसी तरह डेयरी हर साल ५० लाख से ज्यादा राशि कर के रुप में भीनमाल कृषि मंडी को जमा कराती है। उसके ऎवज में मंडी ने डेयरी विकास के लिए कुछ विशेष नही किया है। इस वर्ष मंडी को ३० लाख की लागत का किसान गेस्ट हाउस बनाने का प्लान भेजा है, जो शीघ्र स्वीकृत हो जाएगा। देवड़ा ने बताया कि दुग्धउत्पादकों की समस्याऒ के त्वरित समाधान के लिए डेयरी शीघ्र २४ घंटे सेवा देने वाली हैल्पलाईन शुरु करने जा रही है। उन्होंने कहा कि १ अप्रेल से २८० रुपए की दर होने पर दुग्ध की आवक दोगुनी होने की संभावना है, अतः मार्केटिंग डिवीजन को दुग्ध के विपणन के कमर कस के तैयार रहना होगा। किसी भी कर्मचारी की गलती से डेयरी को होने की स्थिति में कर्मचारी के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
प्रबंध संचालक सोहन बरड़वा ने कहा कि रानीवाड़ा डेयरी इस वर्ष उत्तरोतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है, कम समय में लाखों रुपयों की आय होना कुशल टीम वर्क का काम है। डेयरी प्रशासन ने अभी तक दुग्धउत्पादकों को बीमा क्लेम राशि के रुप में १२ लाख रुपए का भुगतान कर दिया है। डेयरी के युवा चेयरमैन कुवंर राघवेंद्रसिंह की पहल पर डेयरी ने अहमदाबाद में दुध के वितरण करने का हिम्मत भरा निर्णय लिया है, जहां पूर्व में भीलवाड़ा व उदयपुर डेयरी असफल हो चुकी है। परंतु हम वहा प्रथम दिन ५००० लीटर दुध का वितरण कर गुजरात की अमूल डेयरी को सोचने के मजबूर कर दिया कि हौसलें बुलन्द हो तो इंसान बिना परों के उड़ सकता है। बरड़वा ने कहा कि अहमदाबाद में ५ लीटर के पैक की डिमांड ज्यादा होने के डेयरी प्रशासन ने ५ लीटर के पेकिंग की मशीन जिसका मूल्य १२ लाख होता है, उसका आर्डर दे दिया है। इस मशीन के आने बाद अहमदाबाद में दुग्ध की बिक्री तीन गुनी होने की संभावना है।
डेयरी की ९ वीं आमसभा में संचालक महैंद्रसिंघ राड़बर, केसाराम विश्नोई, तगसिंघ सरवाणा, सावंताराम विश्नोई सांकड, सोमाराम चौधरी वगतापुरा, हंसाराम दहीपुर सहित कई समितियों के अध्यक्षों ने भाग लिया। जोइला समिति के अध्यक्ष भवंरसिंघ सोलंकी ने आमसभा में कई सकारात्मक विचार प्रस्तुत किए।आमसभा का संचालन दिलीप कुमार के द्वारा किया गया। बाद में सभी का सामूहिक भोज का भी आयोजन किया गया। भोज के दौरान सभी सदस्यों ने व्यक्तिगत रुप से चेयरमैन व प्रबंध संचालक से अनेकों विषयों पर चर्चा वगैराह भी की।

सोमवार, 3 मार्च 2008

जिला कलेक्टर के द्वारा राज्य स्तर पर सम्मानित


रानीवाड़ा की जसमूल ड़ेयरी ने वित्तिय वर्ष २००७-०८ के दौरान दुग्ध उत्पादकों को लाखों रुपयों का फायदा दिलाया। डेयरी के द्वारा उत्कृष्ट कार्य करने पर प्रबंधक संचालक को २६ जनवरी २००८ को जिला कलेक्टर के द्वारा राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया। गौरतलब यह है कि संस्था के संस्थापन वर्ष १९८६ में मात्र ५ समितियों के ४ सौ सदस्यों के द्वारा ६ सौ किग्रा प्रतिदिन दुध के संकलन से प्रारंम्भ यह संस्था ५२५ से ज्यादा पंजीकृत व प्रस्तावित समितियों लगभग ३० हजार सदस्यों के माध्यम से ५० हजार किलो दुग्ध के संकलन के किर्तिमान को छुने जा रही है।